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मोहनदास करमचंद गाँधी
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१९३१ में मोहनदास कर्मचंद गांधी
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जन्म
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मृत्यु
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मृत्यु का कारण
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राष्ट्रीयता
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अन्य नाम
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महात्मा गाँधी
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शिक्षा
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युनिवर्सिटी कॉलिज, लंदन
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प्रसिद्धि कारण
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राजनैतिक पार्टी
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धार्मिक मान्यता
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जीवनसाथी
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बच्चे
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हरिलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास
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हस्ताक्षर
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सबसे पहले गांधी ने रोजगार अहिंसक सविनय अवज्ञा प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका, में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष हेतु प्रयुक्त किया। १९१५ में उनकी वापसी के बाद उन्होंने भारत में किसानों , कृषि मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्याधिक भूमि कर और भेदभाव के विरूद्ध आवाज उठाने के लिए एकजुट किया। १९२१ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद गांधी जी ने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण, आत्म-निर्भरता के लिए अस्पृश्यता का अंत आदि के लिए बहुत से आंदोलन चलाएं। किंतु इन सबसे अधिक विदेशी राज से मुक्ति दिलाने वाले स्वराज की प्राप्ति उनका प्रमुख लक्ष्य था।गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में १९३० में दांडी मार्च और इसके बाद १९४२ में , ब्रिटिश भारत छोड़ो छेडकर भारतीयों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा।
गांधी जी ने सभी परिस्थितियों में अहिंसा और सत्य का पालन किया और सभी को इनका पालन करने के लिए वकालत भी की। उन्होंने आत्म-निर्भरता वाले आवासीय समुदाय में अपना जीवन गुजारा किया और पंरपरागत भारतीय 'पोशाक धोती और सूत से बनी शॉल पहनी जिसे उसने स्वयं ने 'चरखे ' पर सूत कात कर हाथ से बनाया था। उन्होंने सादा शाकाहारी भोजन खाया और आत्मशुद्धि तथा सामाजिक प्रतिकार दोनों के लिए लंबे-लंबे उपवास भी किए।