ക്ലിക് ചെയ്ത ശേഷം അല്പം കാത്തിരിക്കുക. വീണ്ടും ക്ലിക് ചെയ്യേണ്ടതില്ല. പ്ലെയര് വര്ക്കു ചെയ്തുകൊള്ളും. download ചെയ്തു mobile phoneല് save ചെയ്തു ക്ലാസ്സില് ഉപയോഗിക്കുക.
मैे इधर हूँ।
കവിയും ഹിന്ദി അധ്യാപകനുമായ
ശിവന്കുട്ടി കെ. യുടെ രചനയും ആലാപനവും.
ज्ञानमार्ग एकांकी।
शाहंशाह अकबर कॊ कौन सिखाएगा।
आठवीं कक्षा का संचालन सुनिए।
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उषा प्रियंवदा
गजाधर बाबू ने कमरे में जमा सामान पर एक नज़र दौड़ाई -- दो बक्से, डोलची, बालटी -- ''यह डिब्बा कैसा है, गनेशी?'' उन्होंने पूछा। गनेशी बिस्तर बाँधता हुआ, कुछ गर्व, कुछ दु:ख, कुछ लज्जा से बोला, ''घरवाली ने साथ को कुछ बेसन के लड्डू रख दिए हैं। कहा, बाबूजी को पसन्द थे, अब कहाँ हम गरीब लोग आपकी कुछ खातिर कर पाएँगे।'' घर जाने की खुशी में भी गजाधर बाबू ने एक विषाद का अनुभव किया जैसे एक परिचित, स्नेह, आदरमय, सहज संसार से उनका नाता टूट रहा था।
दीपक मशाल की लघुकथा परछाईं