केरल के जंगलों में 40 साल पहले हुए नक्सली नेता ए वर्गीस के एनकाउंटर मामले में बुधवार को एक कोर्ट ने राज्य के पूर्व पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) के लक्ष्मण को हत्या का दोषी करार दिया लेकिन मामले में आरोपी एक अन्य शीर्ष पुलिस अधिकारी को बरी कर दिया। अदालत ने कहा कि वर्गीस की बर्बरता से हत्या की गई थी।
सीबीआई की विशेष अदालत के जज एस विजय कुमार ने 43 वर्षीय वर्गीस की हत्या के मामले में जिस वक्त फैसला सुनाया, उस समय कोर्ट में आरोपी 74 वर्षीय लक्ष्मण और केरल के पूर्व डीजीपी पी विजयन अपने परिवार सहित मौजूद थे। जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोर्ट में यह बिना किसी शक के साबित हो चुका है कि वर्गीस की मौत से पहले पुलिस ने उसे जिंदा पकड़ा था और फिर उसे बर्बरता से मौत के घाट उतार दिया था। वर्गीस को सीआरपीएफ के कांस्टेबल रामचंद्रन नायर ने लक्ष्मण के आदेश पर मारा था। कहाजाता है कि स्वर्गीय रामचंद्रन केरल पुलिस के पूर्व आईजीपी लक्ष्मण के हाथों की कठपुतली थे।
इस मामले में लक्ष्मण को गुरुवार को सजा सुनाई जाएगी। यह मामला 1998 में उस समय सुर्खियों में आया था जब रामचंद्रन ने स्वीकार किया था कि उसने लक्ष्मण और विजयन के आदेश पर वर्गीस की हत्या की थी। रामचंद्रन ने कहा था कि वह अपना गुनाह कबूल कर रहा है। 2006 में रामचंद्रन की मौत हो गई थी।
गौरतलब है कि 1976 में आपातकाल के दौरान गायब हुए छात्र राजन की हत्या के मामले में भी लक्ष्मण आरोपी है। इंजीनियरिंग छात्र राजन को पुलिस ने नक्सलियों से संबंध होने के शक में गिरफ्तार किया था जिसके बाद से वह गायब हो गया था। हालांकि बाद में इस मामले में लक्ष्मण को बरी कर दिया गया था
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