अब्दुल रज़ाक
हृदय से कहता हूँ मैं।
हृदय से कहता हूँ मैं।
1
भरतीय हैं दुनिया के सभी कोने में
सिर्फ भारत पर नहीं।
2
उत्तर मिला है मुझ को
अब भी क्यों पीछे है भारत?
मैं ने कुछ नहीं किया अभी तक
इनकी उन्नति केलिए।
3
निगोडे को
ताकत भी आजाने पर
नाश करेंगे मन से।
4
ईसा पर भरोसा रखता हूँ तो
जेब पर ही नज़र रखता हूँ मैं।
5
मेरेलिए एक दुनिया है,
तेरेलिए भी।
पर
हमारे लिए कोई दुनिया नहीं ।
6
मैं नेक हूँ
तो
समाज भी
ठीक हैं।
7
जन्म लेते है सभी ‘नारी’ होकर
जीते हैं कोई ‘नर’ होकर।
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