सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को अब गैर शैक्षिक कार्यो में नहीं लगाया जा सकेगा। सभी उपनिदेशक और जिला शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में 30 अप्रैल तक प्रमाण पत्र देना होगा कि उनके क्षेत्र में कोई भी शिक्षक गैर शैक्षिक कार्य नहीं कर रहा। निशुल्क एवं बाल शिक्षा का अधिनियम (आरटीई) के तहत तीन कार्यो को छोड़कर शिक्षकों को अन्य गैर शैक्षिक कार्यो में नहीं लगाया जा सकता।
राज्य के मुख्य सचिव सीके मैथ्यू ने हाल ही में इस संबंध में संभागीय आयुक्त और कलेक्टरों को पत्र लिखकर अधिनियम की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसे देखते हुए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने भी सभी उपनिदेशक और जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश की पालना करने के लिए पाबंद किया है।
कलेक्टर, एसडीओ और तहसीलदार भी यह देखेंगे की उनके क्षेत्र में शिक्षक गैर शैक्षिक कार्यो में तो नहीं लगे हैं। यदि ऐसा पाया जाता है इसे आरटीई का उल्लंघन माना जाएगा। गैर शैक्षिक कार्यो में लगे शिक्षकों को तत्काल कार्यमुक्त कर स्कूलों में भेजना होगा। प्रमुख शासन सचिव, स्कूल एवं संस्कृत शिक्षा विभाग को भी इस संबंध में कार्रवाई करने को कहा गया है।
सभी अधिकारियों को 30 अप्रैल तक इस बात का प्रमाण पत्र देना होगा कि उनके क्षेत्र में कोई शिक्षक गैर शैक्षिक कार्य नहीं कर रहा। बीईईओ, डीईओ और उपनिदेशकों के माध्यम से यह प्रमाण पत्र शिक्षा निदेशालय भेजने होंगे। उधर, संभागीय आयुक्त और कलेक्टर इस संबंध में सीधे ही मुख्य सचिव को जानकारी देंगे।
> यह है हालात
आरटीई 2009 में लागू हुआ था। उसके बाद भी शिक्षा विभाग के कार्यालयों में कर्मचारी के स्थान पर शिक्षकों से बाबूगिरी करवाई जा रही है। वेतन बनाने तक काम शिक्षक कर रहे हैं। पंजीयक शिक्षा विभागीय कार्यालय में परीक्षा परिणाम बनाने जैसा गोपनीय कार्य शिक्षकों के हवाले है। कलेक्टर और उपखंड कार्यालयों में चुनाव कार्य के नाम पर वर्षो से शिक्षक लगे हुए हैं।
> कारण क्या है
दरअसल दूरस्थ क्षेत्रों की स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति कम ही रहती है। आवागमन की परेशानी के कारण शिक्षक आपस में ही एडजस्टमेंट कर लेते हैं। विभाग में प्रतिनियुक्तियों पर प्रतिबंध है लेकिन रसूख वाले शिक्षक जिला या पंचायत समिति मुख्यालय पर ही रहना पसंद करते हैं। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलों में शिक्षक नहीं मिलने की शिकायत अब आम हो चुकी है।
> यह तीन काम ही कर सकेंगे शिक्षक
आरटीई की धारा 27 के तहत शिक्षकों को दस वर्षीय जनसंख्या जनगणना, आपदा राहत कार्य, चुनाव कार्यो के अलावा अन्य किसी कार्य में नहीं लगाया जा सकता।
Source: Bhaskar News
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