
ഏതെല്ലാം കാര്യങ്ങളാണ് എഴുത്തു പരീക്ഷക്കായി തെരെഞ്ഞടുക്കുന്നത് എന്ന് കുട്ടികള് നേരത്തേ അറിയുന്നത് പഠനപ്രക്രിയക്കൊപ്പം മാനസികപ്രക്രിയയും വളരാനിടയാക്കും. ഓണപ്പരീക്ഷ ചോദ്യപേപ്പറുകള് സംസ്ഥാനതലത്തില് തയ്യാറായിക്കഴിഞ്ഞു എന്നാണറിവ്. നിരന്തരവിലയിരുത്തല് ലൈവ് ആയി നടത്തുമ്പോള് , എഴുത്തു പരീക്ഷ കുട്ടി നേടിയ ശേഷികള് നിശ്ചിത സന്ദര്ഭങ്ങളില് പ്രയോഗിക്കുവാനൊരുങ്ങുകയാണ്. 2012-13ലെ ചോദ്യപേപ്പറു പാറ്റേണ് തന്നെയായിരിക്കും 2013-14ലും എന്നു കേള്ക്കുന്നു.
- घटनाओं को क्रमबद्ध करना ।
- पाठ, रचनाकार और प्रोक्ति का परिचय ।
- पात्र और उनके चारित्रिक विशेषताओं का मिलान ।
- वार्तालाप ।
- डायरी ।
- पत्र ।
- लघु लेख ।
- रपट ।
- पोस्टर ।
- उद्घोषणा ।
- विज्ञापन ।
- अपठित कवितांश ।
- अपठित गद्यांश ।
- पारिभाषिक शब्द ।
- भाषा की बातें ।
- संज्ञा - सर्वनाम
- लिंग – वचन
- विशेषण
- क्रियाविशेषण
- क्रिया भेद
- वाक्यमिलान
- जीवनी
- कहानी
- आत्मकथा
- संपादकीय
- साक्षात्कार
ശ്രീ. രവി എം. HSA, GGHSS കടന്നപ്പള്ളി, കണ്ണൂര് ) കഴിഞ്ഞ വര്ഷത്തെ (2012-13) പാദവാര്ഷിക പരീക്ഷയുടെ മാതൃകാ ഉത്തരങ്ങള് തയ്യാറാക്കി ഹിന്ദി ബ്ലോഗില് പ്രസിദ്ധീകരിച്ചത് ശ്രദ്ധിച്ചിരിക്കുമല്ലോ. STD VIII STD IX STD XSTD IX SCERT Question Pool
____________________________________________
भ्रष्टाचार पर हिन्दी में निबंध
भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना
प्रस्तावना :
भ्रष्टाचार अर्थात भ्रष्ट
+ आचार। भ्रष्ट यानी बुरा या बिगड़ा हुआ तथा आचार का मतलब है आचरण। अर्थात
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो।
जब कोई व्यक्ति न्याय
व्यवस्था के मान्य नियमों के विरूद्ध जाकर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए गलत आचरण
करने लगता है तो वह व्यक्ति भ्रष्टाचारी कहलाता है। आज भारत जैसे सोने की चिड़िया
कहलाने वाले देश में भ्रष्टाचार अपनी जड़े फैला रहा है।
आज भारत में ऐसे कई व्यक्ति
मौजूद हैं जो भ्रष्टाचारी है। आज पूरी दुनिया में भारत भ्रष्टाचार के मामले में 94वें स्थान पर है। भ्रष्टाचार के कई रंग-रूप है
जैसे रिश्वत, काला-बाजारी,
जान-बूझकर दाम बढ़ाना, पैसा लेकर काम करना, सस्ता सामान लाकर महंगा बेचना आदि।
1. भ्रष्टाचार के
कारण :
भ्रष्टाचार के कई कारण है। जैसे 1. असंतोष - जब किसी को अभाव के कारण कष्ट होता है तो वह
भ्रष्ट आचरण करने के लिए विवश हो जाता है।
2. स्वार्थ और असमानता :
असमानता, आर्थिक, सामाजिक या सम्मान, पद -प्रतिष्ठा के कारण भी व्यक्ति अपने आपको भ्रष्ट बना
लेता है। हीनता और ईर्ष्या की भावना से शिकार हुआ व्यक्ति भ्रष्टाचार को अपनाने के
लिए विवश हो जाता है। साथ ही रिश्वतखोरी, भाई-भतीजावाद आदि भी भ्रष्टाचार को जन्म देते हैं।
3. भारत में बढ़ता भ्रष्टाचार :
भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह है। आज भारत देश में
भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा है। इसकी जड़े तेजी से फैल रही है। यदि समय रहते इसे
नहीं रोका गया तो यह पूरे देश को अपनी चपेट में ले लेगा। भ्रष्टाचार का प्रभाव
अत्यंत व्यापक है।
4. भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय :
यह एक संक्रामक रोग की तरह है। समाज में विभिन्न स्तरों पर
फैले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कठोर दंड-व्यवस्था की जानी चाहिए। आज भ्रष्टाचार
की स्थिति यह है कि व्यक्ति रिश्वत के मामले में पकड़ा जाता है और रिश्वत देकर ही
छूट जाता है।
जब तक इस अपराध के लिए को कड़ा दंड नही दिया जाएगा तब तक यह
बीमारी दीमक की तरह पूरे देश को खा जाएगी। लोगों को स्वयं में ईमानदारी विकसित
करना होगी। आने वाली पीढ़ी तक सुआचरण के फायदे पहुंचाने होंगे।
5. उपसंहार :
भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार
है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर राष्ट्र का नाम बदनाम कर
रहे हैं।
6. अत:
यह बेहद ही आवश्यक है कि हम भ्रष्टाचार के इस जहरीले सांप
को कुचल डालें। साथ ही सरकार को भी भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए प्रभावी कदम
उठाने होंगे। जिससे हम एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत के सपने को सच कर सकें।
सौजन्य : http://hindi.webdunia.com/kidsworld-hindi-nibandh.htm
सौजन्य : http://hindi.webdunia.com/kidsworld-hindi-nibandh.htm
2 comments:
കൊള്ളാം. പക്ഷേ എല്ലാ ജില്ലയിലെയും വിരുതന്മാര് ചര്ച്ച ചെയ്യാന് തയ്യാറാവണമായിരുന്നു.
Post a Comment