20 फरवरी 2009 को अचानकमार टाइगर रिजर्व एरिया का नोटिफिकेशन जारी हुआ और उसके बाद यहां के 25 में से छह गांव जल्दा, कूबा, सांभरधसान, बोकराकछार, बांकल, बहाउड़ से पहले चरण में विस्थापन की प्रक्रिया शुरू हुर्इ। विस्थापन और पुर्नवास पर में बांकल के 30 परिवारों के 127 लोगों को, बोकराकछार के 38 परिवारों के 136 , सांभरधसान के 17 परिवारों के 44 , जल्दा के 74 परिवारों के 258 , कूबा के 22 परिवारों के 52 तो बहाउड़ के 66 परिवारों के 254 लोगों को विस्थापित किया गया है। ऐसे में कुल विस्थापित परिवारों की संख्या 249 और इनकी कुल जनसंख्या 866 है। जिसे उनकी मर्जी के अनुरूप पुनर्वासित नही किया गया, 20 से ज्यादा बैगा परिवारों को कोई पुनर्वास, मुआवजा या रहने के लिए कोई तत्कालिक राहवास स्थान वगैरा नही दिया गया। न हो भविष्य नियोजित तरीके से पुनर्वास किया गया बस कैसे भी कर के इसे अपने मूल पारंपरिक जंगल से खदेड़ कर क्रांकित के जंगल में बसा दिये है, ये विस्थापित आदिवासी पुनर्वास में मिले मकानो को छोडकर आज भी झोपड़ी में रहना पसंद करते है, पता नही ऐसा मकान आदिवासी हिट को ध्यान में रखकर निर्माण किया गया है या की मकान के नाम पर आने फंड को, इस प्रकार मूल रूप में देखे तो ये आदिवासी समाज इस विस्थापन व पुनर्वास से पूरी तरह असुंष्ट है , जिसे कोई पुनर्वास का लाभ नही मिला ओ तो असंतुष्ट है ही लेकिन जिसे मुआवजा, पुनर्वास मिला है ओ अपने आने वाले बल-बच्चों के राहवास की स्थान को लेकर चिंतित है ।
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