ऐश्वर्य को त्यागकर, स्वाधीनता आंदोलन के कंटकाकीर्ण पथ पर चल पड़ना और वर्षों तक कारावास भोगना, इस दृढ़ विश्वास के साथ कि एक न एक दिन दिल्ली के लाल किले पर यूनियन जैक की जगह तिरंगा अवश्य फहराएगा, केवल नेहरू के बस की ही बात थी। इस अमर राष्ट्रशिल्पी के योगदान को डॉ. राधाकृष्णन के शोक संदेश से भली-भांति समझा जा सकता है। उन्होंने नेहरू की मृत्यु के बाद ठीक ही कहा था कि 'श्री नेहरू की मृत्यु से देश का एक युग समाप्त हो गया है। श्री नेहरू का जीवन अनंत सेवा और समर्पण का जीवन था। वे हमारी पीढ़ी के महानतम व्यक्ति थे। आधुनिक भारत के लिए उनका योगदान अभूतपूर्व था। उनके जीवन और कार्यों का हमारे चिंतन, हमारे सामाजिक संगठन और बौद्घिक विकास पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे मानव सभ्यता को परमाणु युद्घ के विनाश से बचाना चाहते थे। अधिक पढ़ने केलिए दबाएँ।
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