कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को लेकर स्थानीय लोगों और तमिलनाडु सरकार की आशंकाओं को दूर करने के लिए परमाणु ऊर्जा विभाग ने गुरुवार को 15 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया है.
ये समिति तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों और परमाणु संयंत्र का विरोध कर रहे लोगों के प्रतिनिधियों से बात कर उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करेगी.
विशेषज्ञ समिति परियोजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं की तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करेगी और इसका विरोध कर रहे स्थानीय लोगों की शंकाओं का समाधान करेगी.
इस समिति में शिक्षाविद्, वैज्ञानिक, डॉक्टर और इंजीनियर शामिल हैं जिन्हें पर्यावरण विज्ञान, विकिरण सुरक्षा, परमाणु रिएक्टर डिज़ाइन, परमाणु रिएक्टर सुरक्षा, परमाणु कचरे का प्रबंधन, समुद्र विज्ञान, कैंसर अध्ययन, मत्स्यन, तापीय पारिस्थितिकी और भूकंप विज्ञान से जुड़े क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल है.
ये लोग तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों और स्थानीय लोगों से मिलकर हाल के दिनों में परमाणु संयंत्र की सुरक्षा को लेकर भूकंप, सुनामी, विकिरण, मत्स्यन पर प्रभाव और कचरे के प्रबंधन से जुड़ी चिंताओं को दूर करने की कोशिश करेंगे.
नाम विशेषज्ञता
डॉ. ए ई मुथुनायकम - पर्यावरण विज्ञान/समुद्र विज्ञान
डॉ. एम आर अय्यर - विकिरण सुरक्षा
प्रो. एम एन मध्यस्थ - तापीय पारिस्थितिकी
प्रो. एन सुकुमारन - मत्स्यन
डॉ. ए के पाल - मत्स्यन
डॉ. वी शांता - कैंसर अध्ययन
डॉ. सी एस प्रमेश - कैंसर अध्ययन/सर्जन
प्रो. हर्ष के गुप्ता - भूकंप विज्ञान
प्रो. कन्नन अय्यर - सुरक्षा शोध
प्रो. डी वी आर मूर्ति - सुरक्षा शोध
एस के मेहता - परमाणु रिएक्टर डिज़ाइन
एस के शर्मा - परमाणु नियमन मामले
के बालू - परमाणु कचरा प्रबंधन
एस एम ली - रिएक्टर सुरक्षा
डब्ल्यू स्टीफ़न अरूलडॉस कांथिया - रासायनिक संयंत्र सुरक्षा
इस विशेषज्ञ समिति में शामिल हैं - नुरुल इस्लाम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर ए ई मुथुनायगम जिनकी विशेषज्ञता पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में है.
इनके अलावा इस समिति में डॉक्टर एम आर अय्यर, प्रोफ़ेसर एम एन मध्यस्थ, प्रोफ़ेसर एन सुकुमारन, डॉक्टर ए के पाल, डॉक्टर वी शांता, डॉक्टर सी एस प्रमेश, प्रोफ़ेसर हर्ष के गुप्ता, प्रोफ़ेसर कन्नन अय्यर, प्रोफ़ेसर डीवीआर मूर्ति, एस के मेहता, एस के शर्मा, के बालू, डॉक्टर एस एम ली और डब्ल्यू स्टीफ़न अरूलडॉस कांथिया शामिल हैं.
बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि परमाणु संयंत्र का विरोध कर रहे लोगों को समझाने के लिए विशेषज्ञ समिति की घोषणा गुरुवार को कर दी जाएगी.
कुडनकुलम में रूस की मदद से हज़ार-हज़ार मेगावॉट क्षमता के दो परमाणु संयंत्र लगाए गए हैं जिसका काम लगभग पूरा हो चुका है.
परमाणु संयंत्र का काम जैसे ही पूरा होने की कगार पर पहुंचा, इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन तेज़ हो गए.
जापान के फ़ूकूशिमा परमाणु संयंत्र में हुए हादसे के बाद कुडनकुलम के स्थानीय लोगों ने इसके पर्यावरणीय प्रभाव और विकिरण के ख़तरों को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज़ कर दिया.
चिट्ठी पर विवाद
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता ने भी केंद्र के समक्ष अपनी बात रखी थी और प्रधानमंत्री की निंदा की थी.
उसी चिट्ठी के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि उन्हें खेद है कि उनकी चिट्ठी मुख्यमंत्री जयललिता तक नहीं पहुंची.
प्रधानमंत्री ने कहा कि,''मुझे लगता है कि कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की सुरक्षा को लेकर लोगों के ज़हन में जो आशंकाएं हैं उसका समाधान किया जाना चाहिए.''
इससे पहले प्लांट को लेकर लोगों के डर के प्रति केंद्र की कथित उदासीनता के बारे में जयललिता ने कहा था कि जब तक लोगों की आशंकाएं दूर नहीं कर दी जातीं तब तक विवादास्पद संयंत्र में निर्माण कार्य रोक दिया जाना चाहिए.
विशेषज्ञ समिति
परमाणु विकिरण के ख़तरे को लेकर संयंत्र का विरोध किया जा रहा है
इससे पहले विशेषज्ञ समिति के गठन को लेकर भी ख़ासा विवाद हुआ था और जयललिता ने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणस्वामी के बयान की निंदा की थी.
नारायणस्वामी ने कहा था कि विशेषज्ञ समिति के गठन को लेकर केंद्र सरकार राज्य सरकार के जवाब की प्रतीक्षा कर रही है.
कुडनकुलम के लोगों का डर दूर करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन का वादा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था.
नारायणस्वामी ने ये भी कहा था कि लोगों की आशंकाएं दूर करने के लिए केंद्र सरकार पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से भी सलाह लेगी.
उन्होंने ये भी कहा था कि दक्षिण अफ्रीका से प्रधानमंत्री के वापस लौटते ही विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया जाएगा जिसमें पर्यावरण, परमाणु ऊर्जा, समुद्र विज्ञान से
जुड़े वैज्ञानिक शामिल होंगे. ये एक तटस्थ समिति होगी जिसमें परमाणु ऊर्जा आयोग का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा.
ये समिति तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों और परमाणु संयंत्र का विरोध कर रहे लोगों के प्रतिनिधियों से बात कर उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करेगी.
विशेषज्ञ समिति परियोजना से जुड़े विभिन्न पहलुओं की तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करेगी और इसका विरोध कर रहे स्थानीय लोगों की शंकाओं का समाधान करेगी.
इस समिति में शिक्षाविद्, वैज्ञानिक, डॉक्टर और इंजीनियर शामिल हैं जिन्हें पर्यावरण विज्ञान, विकिरण सुरक्षा, परमाणु रिएक्टर डिज़ाइन, परमाणु रिएक्टर सुरक्षा, परमाणु कचरे का प्रबंधन, समुद्र विज्ञान, कैंसर अध्ययन, मत्स्यन, तापीय पारिस्थितिकी और भूकंप विज्ञान से जुड़े क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल है.
ये लोग तमिलनाडु सरकार के अधिकारियों और स्थानीय लोगों से मिलकर हाल के दिनों में परमाणु संयंत्र की सुरक्षा को लेकर भूकंप, सुनामी, विकिरण, मत्स्यन पर प्रभाव और कचरे के प्रबंधन से जुड़ी चिंताओं को दूर करने की कोशिश करेंगे.
नाम विशेषज्ञता
डॉ. ए ई मुथुनायकम - पर्यावरण विज्ञान/समुद्र विज्ञान
डॉ. एम आर अय्यर - विकिरण सुरक्षा
प्रो. एम एन मध्यस्थ - तापीय पारिस्थितिकी
प्रो. एन सुकुमारन - मत्स्यन
डॉ. ए के पाल - मत्स्यन
डॉ. वी शांता - कैंसर अध्ययन
डॉ. सी एस प्रमेश - कैंसर अध्ययन/सर्जन
प्रो. हर्ष के गुप्ता - भूकंप विज्ञान
प्रो. कन्नन अय्यर - सुरक्षा शोध
प्रो. डी वी आर मूर्ति - सुरक्षा शोध
एस के मेहता - परमाणु रिएक्टर डिज़ाइन
एस के शर्मा - परमाणु नियमन मामले
के बालू - परमाणु कचरा प्रबंधन
एस एम ली - रिएक्टर सुरक्षा
डब्ल्यू स्टीफ़न अरूलडॉस कांथिया - रासायनिक संयंत्र सुरक्षा
इस विशेषज्ञ समिति में शामिल हैं - नुरुल इस्लाम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर ए ई मुथुनायगम जिनकी विशेषज्ञता पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में है.
इनके अलावा इस समिति में डॉक्टर एम आर अय्यर, प्रोफ़ेसर एम एन मध्यस्थ, प्रोफ़ेसर एन सुकुमारन, डॉक्टर ए के पाल, डॉक्टर वी शांता, डॉक्टर सी एस प्रमेश, प्रोफ़ेसर हर्ष के गुप्ता, प्रोफ़ेसर कन्नन अय्यर, प्रोफ़ेसर डीवीआर मूर्ति, एस के मेहता, एस के शर्मा, के बालू, डॉक्टर एस एम ली और डब्ल्यू स्टीफ़न अरूलडॉस कांथिया शामिल हैं.
बुधवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि परमाणु संयंत्र का विरोध कर रहे लोगों को समझाने के लिए विशेषज्ञ समिति की घोषणा गुरुवार को कर दी जाएगी.
कुडनकुलम में रूस की मदद से हज़ार-हज़ार मेगावॉट क्षमता के दो परमाणु संयंत्र लगाए गए हैं जिसका काम लगभग पूरा हो चुका है.
परमाणु संयंत्र का काम जैसे ही पूरा होने की कगार पर पहुंचा, इसके ख़िलाफ़ प्रदर्शन तेज़ हो गए.
जापान के फ़ूकूशिमा परमाणु संयंत्र में हुए हादसे के बाद कुडनकुलम के स्थानीय लोगों ने इसके पर्यावरणीय प्रभाव और विकिरण के ख़तरों को लेकर विरोध प्रदर्शन तेज़ कर दिया.
चिट्ठी पर विवाद
कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को लेकर राज्य की मुख्यमंत्री जयललिता ने भी केंद्र के समक्ष अपनी बात रखी थी और प्रधानमंत्री की निंदा की थी.
उसी चिट्ठी के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बुधवार को कहा कि उन्हें खेद है कि उनकी चिट्ठी मुख्यमंत्री जयललिता तक नहीं पहुंची.
प्रधानमंत्री ने कहा कि,''मुझे लगता है कि कुडनकुलम परमाणु संयंत्र की सुरक्षा को लेकर लोगों के ज़हन में जो आशंकाएं हैं उसका समाधान किया जाना चाहिए.''
इससे पहले प्लांट को लेकर लोगों के डर के प्रति केंद्र की कथित उदासीनता के बारे में जयललिता ने कहा था कि जब तक लोगों की आशंकाएं दूर नहीं कर दी जातीं तब तक विवादास्पद संयंत्र में निर्माण कार्य रोक दिया जाना चाहिए.
विशेषज्ञ समिति
परमाणु विकिरण के ख़तरे को लेकर संयंत्र का विरोध किया जा रहा है
इससे पहले विशेषज्ञ समिति के गठन को लेकर भी ख़ासा विवाद हुआ था और जयललिता ने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी नारायणस्वामी के बयान की निंदा की थी.
नारायणस्वामी ने कहा था कि विशेषज्ञ समिति के गठन को लेकर केंद्र सरकार राज्य सरकार के जवाब की प्रतीक्षा कर रही है.
कुडनकुलम के लोगों का डर दूर करने के लिए विशेषज्ञ समिति के गठन का वादा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने किया था.
नारायणस्वामी ने ये भी कहा था कि लोगों की आशंकाएं दूर करने के लिए केंद्र सरकार पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से भी सलाह लेगी.
उन्होंने ये भी कहा था कि दक्षिण अफ्रीका से प्रधानमंत्री के वापस लौटते ही विशेषज्ञ समिति का गठन कर दिया जाएगा जिसमें पर्यावरण, परमाणु ऊर्जा, समुद्र विज्ञान से
जुड़े वैज्ञानिक शामिल होंगे. ये एक तटस्थ समिति होगी जिसमें परमाणु ऊर्जा आयोग का कोई प्रतिनिधि शामिल नहीं होगा.
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