പുതിയ 8,9,10 ഐസിടി പാഠപുസ്തകങ്ങള്‍ പരിചയപ്പെടുത്തുന്ന ഐടി. ജാലകം - പരിപാടി (വിക്‌ടേഴ്സ് സംപ്രേഷണം ചെയ്തത്) യൂട്യൂബിലെത്തിയിട്ടുണ്ട്. .. ലിങ്ക്!
कितनी गजब की बात है खाना सभी को चाहिए मगर अन्न कोई उपजाना नही चाहता, पानी सभी को चाहिए लेकिन तालाब कोई खोदना नही चाहता। पानी के महत्त्व को समझे। और आवश्यकता अनुसार पानी का इस्तेमाल करे।
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07 October 2015

मनुष्यता कविता की पाठयोजना ऐ.सी.टी. के सहारे

പ്രിയപ്പെട്ട സുഹൃത്തുക്കളേ, വീണ്ടും പോസ്റ്റ് ചെയ്യുന്നു.
        ഐ.സി.റ്റി. ഉപാധികള്‍ക്ക് കൂടുതല്‍ പ്രാധാന്യം നല്കി തയ്യാറാക്കിയ मनुष्यता കവിതയുടെ पाठयोजना പ്രസിദ്ധീകരിക്കുന്നു.ഇതില്‍ ഉള്‍പ്പെടുത്താനായി കവിതയുടെ ഓഡിയോ അയച്ചുതരാനുള്ള അഭ്യര്‍ത്ഥനക്ക് രണ്ട് പേര്‍ മാത്രമാണ് പ്രതികരിച്ചത്.തിരൂര്‍ ആലത്തിയൂര്‍ മലബാര്‍ എച്ച്.എസ്.എസ്. ലെ അബ്ദുള്‍കലാം മാഷും ചേര്‍ത്തല പെരുമ്പളം എച്ച്.എസ്.എസ്. ലെ അശോകന്‍ മാഷും. രണ്ടു പേര്‍ക്കുമുള്ള ഹൃദയം നിറഞ്ഞ നന്ദി രേഖപ്പെടുത്തട്ടെ! കാരണം ആരും പ്രതികരിക്കാത്തതിനാല്‍ നിരാശയോടെ ഈ पाठयोजना സാധാരണമട്ടില്‍ പ്രസിദ്ധീകരിക്കാന്‍ ഉദ്ദേശിച്ചിരുന്നപ്പോഴാണ് ഇവരുടെ മെയിലുകളെത്തിയത്. പലരും ഇപ്പോഴും തങ്ങളുടെ കൈവശമുള്ള മെറ്റീരിയലുകള്‍ പൊതുവായി പങ്കുവെയ്ക്കാന്‍ തയ്യാറാകുന്നില്ല എന്നത് ഖേദം തന്നെ.
पाठयोजना യെക്കുറിച്ച്
     ക്ലാസ്സ് റൂം വിനിമയത്തിന് സഹായകമായ വിധത്തില്‍ pdf/slide കള്‍ നല്കിയിട്ടുണ്ട്. പുരാണകഥാ സന്ദര്‍ഭങ്ങള്‍ വിശദീകരിക്കാന്‍ സഹായകമായിട്ടുള്ളത് എന്ന് തോന്നിയ വീഡിയോകളുടെ (ഭാഷക്ക് പ്രാധാന്യം നല്കാതെ)ലിങ്കും അതതിടങ്ങളിലുണ്ട്. ഓരോ സെഷനിലെയും പാഠഭാഗത്തിന്റെ വ്യാഖ്യാനവും pdf ആയി നല്കിയിരിക്കുന്നു. കവിതയുടെ 3 ഓഡിയോ ഫയലുകളും ചോദ്യോത്തരങ്ങളടങ്ങിയ ഒരു ഫയലും പോസ്റ്റിനൊടുവിലുണ്ട്. താങ്കളുടെ ക്ലാസ്സ് റൂം സാഹചര്യങ്ങള്‍ക്കും അഭിരുചിക്കും അനുസരിച്ച് മാറ്റങ്ങള്‍ വരുത്തി ഉപയോഗിക്കുക.ഉപയോഗപ്രദമായ സാമഗ്രികളെക്കുറിച്ച് കമന്റുകളിലൂടെ സൂചിപ്പിച്ചാല്‍ അവ കൂടി കൂട്ടിച്ചേര്‍ക്കുന്നതാണ്.
   ഈ അധ്വാനത്തെ വിലമതിക്കുന്ന പക്ഷം പ്രതികരിക്കുക.അത് അഭിനന്ദനങ്ങള്‍ തന്നയാവണമെന്ന് യാതോരു നിര്‍ബന്ധവുമില്ല. വിമര്‍ശനങ്ങള്‍ക്കും തിരുത്തലുകള്‍ക്കും സര്‍വ്വദാ സ്വാഗതം.


राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रसिद्ध कविता है 
"मनुष्यता"। इसकविता में समाज की भलाई के लिए कर्मरत होने का आह्वान है। मनुष्य है तो मृत्यु से निडर होकर जीना है। मृत्यु के बाद भी उसकी याद संसार में बनी रहे। यही कवि की कामना है।
उद्देश्य:
समस्यापरक : मानव जीवन में मानवता कम हो रही है।
भाषापरक : आधुनिक कविता का परिचय पाएँ।
आस्वादन टिप्पणी तैयार करने की क्षमता पाएँ।
सहायक सामग्रीकविता की सी.डी., पौराणिक-ऐतिहासिक कहानियाँ।

 पहला अंतर
महत् उद्देश्य की प्रतिमा नामक साक्षात्कार में समाज-सेवा में लीन डॉ.शान्त से हमें परिचय पाया है। ऐसे अनेक महान व्यक्तित्व देश के कोने-कोने में थेअब भी हैं।
  • वे कौन-कौन हैं?
  • उनके महत्व का कारण क्या है?
  • अब भी उनका नाम लोग आदर के साथ लेते हैं। क्यों?
दल में चर्चा होदलों की प्रस्तुति हो।
वर्तमान समाज में मूल्यों की कमी हो रही है। नीचे की घटना पढ़ें। )
 click_here.gifप्रस्टेशन केलिए

बैक दुर्घटनाघायल युवक घंटों तक सड़क पर पड़ा रहा।
कण्णूरवलपट्टणम पुल के निकट हुई बैक दुर्घटना में पच्चीस वर्ष के युवक ने सड़क पर ही दम तोड़ दी। दुर्घटना के बाद वह घंटों तक सड़क पर ही पड़ा रहा लेकिन किसी ने भी उसे अस्पताल नहीं पहुँचाया। कुछ लोग मोबाइल पर उसका फोटो खींचने में व्यस्त थे।....

युवक की मृत्यु कैसी हुई?
घायल युवक के प्रति लोगों का व्यवहार कैसा था?
लोगों में कैसा मनोभाव प्रकट हुआ है?
  • लोगों में मानवीय गुण कम हो रहा है।
  • अमानवीयता किसी भी दशा में कहीं भी शोभा नहीं देती।
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की कविता "मनुष्यतायही बताती है।
विचार लो कि................मनुष्य के लिए मरे। 
click_here.gif
कविताभाग की व्याख्या केलिए

कवितांश का वाचन करें।
वाचन प्रक्रिया:
  • हमें किससे नहीं डरना चाहिएक्यों?
  • मनुष्य किससे अधिक डरता है?
  • मनुष्य को कैसी मृत्यु अधिक शोभा देती है?
  • किस प्रकार की मृत्यु को सुमृत्यु कहा जा सकता है?
  • दूसरों के लिए जीनीवालों की मृत्यु किस तरह होती है?
  • किसे वृथा जीना पड़ता है?
  • किसे वृथा मरना पड़ता है?
  • पशु-प्रवृत्ति से क्या तात्पर्य है?
दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
अगला अंतर
दूसरों के लिए अपने आप को समर्पित कुछ व्यक्तित्व पुराण और इतिहास में हैं।
उनका परिचय पाएँ।
क्षुधार्त रंतिदेव..............मनुष्यता के लिए मरे।
 click_here.gifकविता की व्याख्या केलिए

कवितांश का वाचन करें।
वाचन प्रक्रिया:
आकलन कार्य भी करें ।
कवि ने दधीचिकर्णरंतिदेवशिबि आदि दानी व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता
के लिए क्या संदेश दिया है?
  • रंतिदेव कौन थेउन्होंने भूखे व्यक्ति से कैसा व्यवहार किया?
    दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
रंतिदेव
दया के लिए प्रसिद्ध राजा है रंतिदेव। उनके दरबार में अतिथियों के लिए खाने पकाने करीब बीस हज़ार नौकर नियुक्त थे।वे दिन-रात अतिथियों का स्वागत सत्कार करने जागरुक रहे।उन्होंने अपनी सारी कमाई ब्राह्मणों को दान में दे दी। वेदाध्ययन करके रंतिदेव ने दुश्मनों को धर्म से परास्त किया । दान-कर्म के लिए मारी गई मावेशियों के चमड़े से बहे खून ने एक नदी का रूप लिया ,उस नदी का नाम है चर्मण्यवती नदी।दिनभर भूखा-प्यासा रहने के बावजूद एक बार रंतिदेव नेअपने महल में अतिथि बनकर आए वसिष्ठमुनि को अपना खाना देदिया।
രന്തിദേവന്റെ കഥ വീഡിയോ രൂപത്തില്‍ കാണൂ 
  Click Here for slide
  • दधीचि कौन थेउन्होंने अपना अस्थिजाल क्यों दान दिया?
    दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
    दधीचि
    दधीची एक विख्यात ऋषि है। भृगु महर्षि का पुत्र । इंद्र ने दधीची की हड्डी से वज्रायुध बनाकर वृत्त नामक असुर का वध किया। इंद्र ने जब वज्रायुध बनाने दधीचि की हड्डी माँगी तो बिना हिचक ने अपनी हड्डी दान में दे दी और प्राण छोड़ दिए ।
    Click Here For Slide
  • शिबि कौन थेउन्होंने कौन-सा महत्वपूर्ण कार्य किया?
    दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
राजा शिबी
एक बार इन्द्र ने राजा शिबी की दानशीलता की परीक्षा करने का निश्चय किया।इसके लिए इन्द्र ने एक कबूतर और अग्निदेव ने बाज का रूप धारण किया । बाज से बचने के प्रयास में कबूतर राजा शिबी की गोद में आ गिरा। अपने शिकार वापस देने को बाज ने तर्क उठाया।दानशील शिबी ने कबूतर के बदले अपना माँस काटकर दे दिया । इतने में कबूतर और बाज के रूप में आए ईश्वर अपने अपने रूप में प्रकट हो गए और उन्होंने राजा शिबी को आशिर्वाद दिया ।
രാജാ ശിബിയുടെ ദാനം - തമിഴ് നൃത്തസംഗീത നാടകം ഒന്നാം ഭാഗം
രാജാ ശിബിയുടെ ദാനം - തമഴ് നൃത്തസംഗീത നാടകം രണ്ടാം ഭാഗം
രാജാ ശിബിയുടെ ദാനം - തമിഴ് നൃത്തസംഗീത നാടകം മൂന്നാം ഭാഗം 
  • कर्ण कौन थेअपना शरीर-चर्म दान देकर कौन-सा संदेश दिया?
    दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
    कर्ण
     कर्ण महाभारत के मुख्य पात्र एवं दानवीर के रूप में प्रसिद्ध है। कर्ण के दानवीरता के भी अनेक संदर्भ मिलते हैं। उनकी दानशीलता की ख्याति सुनकर इन्द्र उनके पास कुण्डल और कवच माँगने गये थे।कर्ण ने अपने पिता सूर्य के द्वारा इन्द्र की प्रवंचनाका रहस्य जानते हुए भी उनको कुंडल और कवच दे दिये।इन्द्र ने उसके बदले में एक बार प्रयोग के लिए अपनी आमोघ शक्ति दे दी थी। उससे किसी का वध अवश्यम्भावी था। कर्ण उस शक्ति का प्रयोग अर्जुन पर करना चाहते थे । किंतु दुर्योधन के निदेश पर उन्होंने उसका प्रयोग भीम के पुत्र घटोत्कच पर किया था । अपने ्ंतिम समय में पितामह भीष्म ने कर्ण को उनके जन्म का रहस्य बताते हुए महाभारत के युद्ध में पाण्डवों का ससाथ देने को कहा था किंतु कर्ण ने इसका प्रतिरोध करके अपनी सत्यनिष्ठा का परिचय दिया ।भीम के अनंतर कर्ण कौरव सेना के सेनापति नियुक्त हुए थे।अंत में तीन दिन तक युद्ध संचालन के उपरांत अर्जुन ने उनका वध कर दिया ।कर्ण के चरित्र में आदर्शों का दर्शन उनकी दानवीरता एवं युद्धवीरता के युगपत् प्रसंगों में किया जा सकता है।
    Click Here for slide
    karna gives his kavacha to indra(വീഡിയോ)
  • देह और जीव के संबंध में कवि ने क्या बताया है?
दल में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।

लेखन कार्य : कविता में दिए पौराणिक पात्रों के महत्व पर अपने मित्र के नाम पत्र लिखें
संकलन करें : दधीचिकर्णरंतिदेवशिबि आदि दानी व्यक्तियों की कहानियों का संकलन करें।
 अगला अंतर
मानव जीवन अमूल्य है। भिन्नताओं को भूलकर एकता में रहने से सबकी भलाई होती है। रहो
कवितांश का वाचन करें।
न भूल के..............मनुष्य के लिए मरे। (12 पंक्तियाँ
click_here.gifकविता की व्याख्या केलिए 

वाचन प्रक्रिया:
जीवन की सुख-सुविधाओं में मदांध होकर जीनेवालों को कवि क्या उपदेश देना चाहते हैं?
  • धन-संपत्ति के प्रति कवि की राय क्या है?
  • सनाथ जीवन के लिए क्या न होना चाहिए?
  • यहाँ दीनबन्धु कौन है?
  • अभीष्ट मार्ग में किस तरह चलना है?
  • "घटे न हेल-मेल हाँबढ़े न भिन्नता कभी"- यहाँ कवि का तात्पर्य क्या है?
  • कवि की राय में क्या नहीं घटना चाहिए?
  • क्या नहीं बढ़ना चाहिए?
  • हम किस राह के पथिक हैं?
  • जीवन का समर्थ भाव किसमें है?
दलों में चर्चा हो। दलों की प्रस्तुति हो।
इन बिंदुओं पर चर्चा करें।
  • भूमिकाकवि और कविता का परिचय
  • भावविश्लेषण
  • कविता की भाषाबिंबप्रतीकप्रयुक्त शब्दावली आदि पर टिप्पणी।
  • कविता की प्रासंगिकता।
  • अपना दृष्टिकोण।
कविता की आस्वादन टिप्पणी तैयार करें।
लेखन प्रक्रिया -
आस्वादन टिप्पणी।
उपज की प्रस्तुति हो।
उपज का आकलन करें।
अध्यापक की ओर से प्रस्तुति ।

आस्वादन टिप्पणी
मनुष्यता
मैथली शरण गुप्त )

श्री मैथली शरण गुप्त द्वारा लिखित कविता हैमनुष्यता। मनुष्यता मनुष्य के गुणों का परिचायक तत्व है।यही मनुष्य होने का अनिवार्य अंतरंगी चेतना है । मनुष्य होकर जीना है तो मनुष्य से निड़र होकर जीना है।कवि कहता है कि निड़रता उसका जन्मजात गुण हो । मरने के बाद भी उसकी याद बनी रहनी चाहिए।बेकार का जीना और बेकार का मरना सुमृत्यु नही कहलाएगी।
रतिदेव दुधीची ,उशीनर ,कर्ण आदि महात्मा जीवनदान करते वक्त डरा नहीं उन्हें जान का मोह नहीं था । देह क्षणिक हैअनित्य है सदा केलिए रहनेवाला सशक्त जीव को डरने की क्या ज़रूरत है। मनुष्यता क्षणिक शरीर के लिए भयभीत न होने का संदेश देती है ।धन के लोभ और मोह में पड़कर ,मदोन्मत्त होकर जीवन की सच्चाई और असलियत को भूलकर जीना भला नहीं होता जीवन की विलासिता में डूबकर जीनेवालों को कवि उपदेश देता है कि धन-दौलत की दौड़ में भूलकर जीवन बरबाद नहीं करना चाहिए। जब तक ईश्वर सहारा देते है तब तक कोई अनाथ नहीं होता । जो कोई मनुष्य के लिए मरे वही मनुष्य कहलाने योग्य है।
विघ्न बाधाओं को पार करते हुए उनका सहर्ष सामना करते हुए अग्रसर होना चाहिए।मेल-मिलाप और प्यार -समता की कमी नहीं होना चाहिए ।मेल-मिलाप और प्यार ममता कमी नही होनी चाहिए और भिन्नता का भाव भी नहीं होना चाहिए।हम हमराही बनेंइसीमें भलाई है ,औरों को बचाते हुए स्वयं बचें,इसमें सफलता है। मनुष्य के लिए मनुष्यता है ।
गुप्तजी गाँधीवादी दर्शन से प्रभावित आदर्श राष्ट्रकवि है । देश प्रेम ,राष्ट्रीयता आदि सात्विक भाव उनकी रचनाओं को प्रौढ़ता प्रदान करता है। मनुष्यता में इन्हीं भावों का समावेश हुआ है।
click_here.gifकविता का आलाप (हिंदी ब्लोग वाणी प्रस्तुति) केलिए

 click_here.gifकविता का आलाप (अशोक कुमारजी की प्रस्तुति)

 click_here.gifकविता की का आलाप (के.सी.कलामजी से मिला उपज)

click_here.gifकविता पर कुछ प्रश्न और उत्तर (पी.डी.एफ) केलिए

पाठ्यपुस्तिका की "मैंने क्या कियाशीर्षक पर दी गई जाँच-सूची का इस्तेमाल करेंगे।
"मनुष्यताकविता में तत्सम शब्दों की भरमार है।
(तत्सम शब्द वे हैं जो संस्कृत से आए हैं और बिना किसी परिवर्तन से हिंदी में प्रयुत्क हैं।)
कविता से तत्सम शब्द छांटकर लिखें।
तारे ज़मीं पर
फिल्मी समीक्षा का वाचन करें।
पाठ्यपुस्तिका के पृष्ठ संख्या 57 में दिए कार्य करें।
बूढ़ी काकी या अन्य किसी फिल्म दिखा दें।
फिल्म समीक्षा दल में तैयार करें।
दल की ओर से प्रस्तुति ।

3 comments:

MALAPPURAM SCHOOL NEWS said...

रंतिदेव राजा संकृति के पुत्र सांकृत्य गोत्रीय, भरत वंशीय सम्राट् है जिनकी विस्तृत कथा श्रीमद्भागवत में मिलती है।[1]
ये परम धार्मिक, यज्ञकर्ता, दानवीर के रूप में प्रसिद्ध हैं।
कहते हैं, इन्होंने इतने यज्ञ किए हैं कि इनके यज्ञीय पशुओं की रक्तधारा से एक नदी चर्मण्यवती बन गई जो चंबल से अभिन्न मानी जाती है।

PTM HS THRIKKATERI said...

good

sr99 said...

This is Awesome collection. Thanks friend.

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