बर्टोल्ट ब्रेख़्ट (10 फ़रवरी 1898-14 अगस्त 1956)
बावेरिया, जर्मनी में जन्मे बर्टोल्ट ब्रेख़्ट (10 फ़रवरी 1898-14 अगस्त 1956)बीसवीं सदी के उन साहित्यकारों में हैं जिन्होंने पूरी दुनिया पर अपना असर छोड़ा है। वे नाटककार, कवि और नाट्य-निर्देशक थे। पूर्वी और हिन्दुस्तानी परम्पराओं से प्रेरणा ले कर उन्होंने समूचे नाट्य-कर्म को अपनी नयी शैली से प्रभावित किया। बीस-बाईस साल की उमर से वे एक प्रतिबद्ध मार्क्सवादी बन गए और फिर जीवन भर मार्क्सवादी रहे। उन्होंने दो-दो महायुद्धों की विभीषिका नज़दीक से देखी थी और हिट्लर और उसकी नात्सी पार्टी की हिट-लिस्ट में रहे जिसकी वज़ह से उन्हें दस साल से ज़्यादा की जलावतनी से गुज़रना पड़ा। ब्रेख़्ट कहते थे कि वे कविताएँ प्रकाशित करने के लिए नहीं, बल्कि अपने नाटकों को और बेहतर बनाने के लिए लिखते थे । लेकिन उनका काव्य-भण्डार जिसमें 500 से ज़्यादा कविताएँ हैं बज़ातेख़ुद एक अहमियत रखता है। इसके अलावा उन्होंने उपन्यास और कुछ कहानियाँ भी लिखी हैं और नाट्य प्रस्तुतियों पर वैचारिक लेख भी।
उदय प्रकाश (जन्म : १ जनवरी १९५२)
उदय प्रकाश (जन्म : १ जनवरी १९५२) चर्चित कवि, कथाकार, पत्रकार और फिल्मकार हैं। आपकी कुछ कृतियों के अंग्रेज़ी, जर्मन, जापानी एवं अन्य अंतरराष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद भी उपलब्ध हैं। लगभग समस्त भारतीय भाषाओं में रचनाएं अनूदित हैं। इनकी कई कहानियों के नाट्यरूपंतर और सफल मंचन हुए हैं। 'उपरांत' और 'मोहन दास' के नाम से इनकी कहानियों पर फीचर फिल्में भी बन चुकी हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं। उदय प्रकाश स्वयं भी कई टी.वी.धारावाहिकों के निर्देशक-पटकथाकार रहे हैं। सुप्रसिद्ध राजस्थानी कथाकार विजयदान देथा की कहानियों पर बहु चर्चित लघु फिल्में प्रसार भारती के लिए निर्देशित-निर्मित की हैं। भारतीय कृषि का इतिहास पर महत्वपूर्ण पंद्रह कड़ियों का सीरियल 'कृषि-कथा' राष्ट्रीय चैनल के लिए निर्देशित कर चुके हैं।
नरेश सक्सेना : १६ जनवरी १९३९ ग्वालियर
शिक्षा : एम. ई।
सम्प्रति : उत्तर प्रदेश जल निगम में एग्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर टैक्नोलाजी मिशन। गंगा आई. सी. डी. पी. में पर्यावरण इंजीनियरिंग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य। कविताओं के अतिरिक्त नाटक, फिल्मों और संपादन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य। सम्मिलित रूप से आरंभ, वर्ष और छायानट साहित्यिक पत्रिकाओं का संपादन।
पहली कविता १९५८ में ज्ञानोदय में प्रकाशित तदुपरांत कल्पना, ज्ञानोदय, धर्मयुग, साक्षात्कार, पहल, वसुधा, प्रयोजन, तद्भव आदि हिन्दी की सभी महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशित। हिन्दी के अनेक प्रतिष्ठित संकलनों में चयनित एवं प्रकाशित।
ग्वालियर में जन्मे नरेश सक्सेना हिंदी कविता के उन चुनिन्दा ख़ामोश लेकिन समर्पित कार्यकर्ताओं की अग्रिम पंक्ति में हैं, जिनके बिना समकालीन हिंदी कविता का वृत्त पूरा नहीं होता। वे विलक्षण कवि हैं और कविताओं की गहन पड़ताल में विश्वास रखते हैं, इसका एक सबूत ये है कि 2001 में वे `समुद्र पर हो रही है बारिश´ के साथ पहली बार साहिबे-किताब बने और 70 की उम्र में अब तक उनके नाम पर बस वही एक किताब दर्ज़ है - इस पहलू से देखें तो वे आलोकधन्वा और मनमोहन की बिरादरी में खड़े नज़र आयेंगे। वे पेशे से इंजीनियर रहे और विज्ञान तथा तकनीक की ये पढ़ाई उनकी कविता में भी समाई दीखती है। वे अपनी कविता में लगातार राजनीतिक बयान देते हैं और अपने तौर पर लगातार एक साम्यवादी सत्य खोजने का प्रयास करते हैं। कविता के लिए उनकी बेहद ईमानदार चिन्ता और वैचारिक उधेड़बुन का ही परिणाम है कि कई पत्रिकाओं के सम्पादक पत्रिका के लिए सार्थक कविताओं की खोज का काम उन्हें सौंपते हैं। कविता के अलावा उनकी सक्रियता के अनेक क्षेत्र हैं। उन्होंने टेलीविज़न और रंगमंच के लिए लेखन किया है। उनका एक नाटक `आदमी का आ´ देश की कई भाषाओं में पांच हज़ार से ज़्यादा बार प्रदर्शित हुआ है। साहित्य के लिए उन्हें 2000 का पहल सम्मान मिला तथा निर्देशन के लिए 1992 में राष्ट्रीय फि़ल्म पुरस्कार। संपर्क: नरेश सक्सेना ; विवेक खण्ड, 25-गोमती नगर, लखनऊ-226010 ; मो. 09450390241
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