आप यह प्रश्न छात्रों को दें ।
वाचन करने का निर्देश दें ।
प्रसंग समझाने केलिए ये प्रश्न पूछें ।
…............................
विचारों या उत्तरों को क्रमबद्ध लिखवाएँ ।
पूछें, पत्र लिखते समय ध्यान देने की बातें क्या-क्या हैँ ?
उत्तरों का चयन एवं क्रमबद्ध करवाएँ ।
दल में चर्चा करके परिमार्जन करने का निर्देश दें व प्रस्तुतीकरण करवाएँ ।
आप निम्नलिखित रूपरेखा प्रस्तुत करें ।स्थान,
रूपरेखा के आधार पर वैयक्तिक रूप से पत्र लिखने का निर्देश दें ।
दल में चर्चा एवं दो-तीन प्रस्तुतीकरण करवाएँ ।
अपना प्रस्तुतीकरण करें ।आग्रा,
- देवदास "मेडिको" के अपने पहले क्लास के अनुभवों के बारेअपने मित्र के नाम पत्र लिखता है । वह पत्र कल्पना करके लिखें ।
वाचन करने का निर्देश दें ।
प्रसंग समझाने केलिए ये प्रश्न पूछें ।
- देवदास कौन-सी पढ़ाई करते हैं ?
- उनके अध्यापक कौन थे ? उनकी विशेषताएँ क्या-क्या थीं ?
- पहने क्लास की विशेषताएँ क्या-क्या थीं ?
- शिक्षक के परिचय पाने की रीति ।
- उनका भाषण ।
- एनाटमी हॉल के अनुभव ।
- साथी लक्ष्मी ।
…............................
विचारों या उत्तरों को क्रमबद्ध लिखवाएँ ।
पूछें, पत्र लिखते समय ध्यान देने की बातें क्या-क्या हैँ ?
उत्तरों का चयन एवं क्रमबद्ध करवाएँ ।
- स्थान और तारीख ।
- प्रेषक व पता ।
- संबोधन ।
- अभिवादन ।
- कलेवर ।
- स्वनिर्देश, हस्ताक्षर व नाम ।
- सेवा में व पता ।
दल में चर्चा करके परिमार्जन करने का निर्देश दें व प्रस्तुतीकरण करवाएँ ।
आप निम्नलिखित रूपरेखा प्रस्तुत करें ।स्थान,
तारीख ।प्रेषकनाम,घर का नाम,पी. ओ.,
संबोधन,
अभिवादन । ….......................................................…........................................................................................................................................................ ।
स्वनिर्देश,हस्ताक्षर,नाम
सेवा मेंनाम,घर का नाम,पी. ओ.,जिला - (पिनकोड)
रूपरेखा के आधार पर वैयक्तिक रूप से पत्र लिखने का निर्देश दें ।
दल में चर्चा एवं दो-तीन प्रस्तुतीकरण करवाएँ ।
अपना प्रस्तुतीकरण करें ।आग्रा,
16-08-2012।प्रेषकदेवदास,रूम संख्या 36, मेडिक्कल कॉलिज होस्टल,आग्रा मेडिक्कल कॉलिज ।प्रिय मित्र,नमस्ते । कैसे हो तुम ? क्लास शुरू होने के बाद लिखने के विचार में था । इसलिए थोडी देरी हुई । कॉलिज होस्टल में ठहरने की सुविधा मिल गई । हम चार छात्र एकसाथ रहते हैं ।
कल हमारी पहली क्लास थी । मैं बहुत घबराकर एनॉटमी हॉल के अंदर पहुँचा । लंबा चौडा हॉल । हरएक केलिए डेस्क और कूर्सी । बडे-बडे मेज़ों पर मर्तबान और उनमें मानव शरीर के अंग । प्रो. डी. कुमार एनॉटमी के प्रोफसर थे । उन्होंने हमको "डाक्टरस” कहकर संबोधित किया और हरेक छात्र को निरीक्षण करते हुए सवाल पर सवाल पूछकर परिचय पाया।फिर उनका भाषण करीब एक घंटे तक चलता रहा । चरक, सुश्रुत,अविसेन्ना जैसे महान चिकत्सकों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अपनी इस छोटी जीवनयात्रा में आपको एक महत्वपूर्ण दायित्व निभाना है । सारी दुनिया को अपने परिवार मानकर मन लगाकर मरीजों की सेवा में लग जाइए ।
फिर हम डिसेक्शन हॉल में पहुँचे । हॉल बगलवाली बिल्डिंग में था । हॉल में तीखी बदबू भरी थी । विशाल हॉल में तीन कतारों में नौ मेज़ें । मेज़ों पर लाशें पडी थीं । फ़ार्मलीन भरी टंकी पर लाशें सुरक्षित रखते हैं । हमको आठ छात्रों का दल बनाया । हर दल को एक-एक लाश । फिर दो-दो के दल में बाँटकर लाश के अंग डिसेक्शन केलिए दिये । मेरी साथी थी लक्षी । प्रो. डी. कुमार ने कहा कि ये लाशें भी हमारी तरह सम्मानित जीवन बिताया है । आप ऎसी सावधानी से चाकू चलाएँ कि ये लाशें नहीं हैं जीवात्मा है ।
पहली क्लास के ये अनुभव मैं कभी नहीं भुल सकूँगा । सब से बताना कि मैं यहाँ कुशल से हूँ । फिर लिखूँगा यार । समाप्त करता हूँ ।आप का मित्र,हस्ताक्षर,देवदास
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